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बलवंतराय मेहता – गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, उनके साथ हेलीकॉप्टर के पायलट फ़्लाइट लेफ्टिनेंट सुलभ चंद्र जिनकी 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहादत का चित्र। |
भारत के पहले शहीद मुख्यमंत्री: बलवंतराय मेहता की 1965 में पाक हमले में मृत्यु
परिचय
भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध कई ऐतिहासिक घटनाओं से भरा हुआ है, लेकिन एक घटना विशेष रूप से हृदयविदारक और चौंकाने वाली थी—जब पाकिस्तान वायु सेना ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता के विमान को मार गिराया। यह घटना न केवल एक राजनीतिक नेता की दुखद मृत्यु थी, बल्कि यह भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक नीति पर भी गंभीर प्रश्न उठाती है। यह भारत के इतिहास में अब तक का एकमात्र उदाहरण है जब कोई मुख्यमंत्री दुश्मन देश की फौजी कार्रवाई में शहीद हुआ हो।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत-पाक युद्ध 1965: एक झलक
1965 का भारत-पाक युद्ध कश्मीर को लेकर उपजा था। युद्ध के दौरान दोनों देशों में गहन टकराव हुआ, जिसमें हवाई हमले, जमीनी संघर्ष और कूटनीतिक गतिरोध शामिल थे।
बलवंतराय मेहता कौन थे?
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
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भारत में पंचायती राज प्रणाली के जनक
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1963 से 1965 तक गुजरात के मुख्यमंत्री
वो काली तारीख – 19 सितंबर 1965
घटना का विवरण
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स्थान: कच्छ का मीठापुर हवाई अड्डा
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परिस्थिति: सीएम बलवंतराय मेहता अपनी पत्नी सरोजबेन, एक पत्रकार और तीन अन्य साथियों के साथ निरीक्षण दौरे पर थे।
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हमला: उड़ान भरते ही पाकिस्तानी फाइटर पायलट कैस हुसैन ने हेलीकॉप्टर को इंटरसेप्ट किया।
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विनती: भारतीय पायलट ने 'विंग हिलाकर' युद्ध न करने का संकेत दिया।
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हमला: सुथारी गांव के ऊपर विमान को मिसाइल से निशाना बनाया गया।
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नतीजा: विमान जल उठा और सभी यात्री मारे गए।
सरकार की प्रतिक्रिया: मौन क्यों?
तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य
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केंद्र में कांग्रेस की सरकार, प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री।
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चार दिन के भीतर सीज़फायर स्वीकार कर लिया गया।
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कोई अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई नहीं, न ही पाकिस्तान को सार्वजनिक रूप से ज़िम्मेदार ठहराया गया।
संभावित कारण
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युद्ध का तत्काल समापन आवश्यक समझा गया।
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कूटनीतिक प्राथमिकताएँ शहादत से ऊपर रखीं गईं।
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आलोचक मानते हैं कि यह कायरता थी, जबकि समर्थक इसे रणनीतिक धैर्य कहते हैं।
आज की परिप्रेक्ष्य में
तुलना — आज और तब
पहलू |
1965 |
आज |
प्रतिक्रिया |
मौन |
आक्रामक
व रणनीतिक जवाब |
अंतरराष्ट्रीय
मंच |
निष्क्रिय |
सक्रिय
आवाज |
जन
प्रतिक्रिया |
सीमित |
सोशल
मीडिया से जबरदस्त |
विंग कमांडर अभिनंदन प्रकरण
2019 में जब पाकिस्तानी सेना ने विंग कमांडर अभिनंदन को बंदी बनाया, तो भारत की कूटनीतिक और सैन्य शक्ति के दबाव में पाकिस्तान को उन्हें वापस लौटाना पड़ा।
बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ
23 अप्रैल 2025 को, पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी के दौरान, पूर्णम कुमार शॉ ने गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर ली। यह घटना पहल्गाम आतंकी हमले के एक दिन बाद हुई थी, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी। पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उन्होंने लगभग 21 दिन पाकिस्तान की कैद में बिताए।
इससे स्पष्ट होता है कि अब भारत अपनी सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा में कहीं अधिक गंभीर और सशक्त है।
प्रेरणादायक सबक
"एक राष्ट्र का नेतृत्व उसकी शहादतों का उत्तर देने के संकल्प से ही तय होता है।"
बलवंतराय मेहता की शहादत से क्या सीखें?
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राष्ट्रीय नेतृत्व को न्याय के लिए खड़ा होना चाहिए।
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शहीदों का सम्मान केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि नीति और प्रतिक्रिया से भी होना चाहिए।
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देश को ऐसा नेतृत्व चाहिए जो हर नागरिक की जान की कीमत समझे।
निष्कर्ष
बलवंतराय मेहता की मृत्यु कोई सामान्य दुर्घटना नहीं थी — यह एक सीधे हमले में की गई राजनैतिक हत्या थी, जिसकी गूंज अब तक अनसुनी रही। उनकी शहादत का न केवल राजनीतिक बल्कि राष्ट्रभक्ति की कसौटी पर भी विश्लेषण होना आवश्यक है।