स्वार्म ड्रोन: सामूहिक आक्रमण की नई तकनीक

 

एक साथ हमला करने की भारत की अगली तकनीकी छलांग

स्वार्म ड्रोन: सामूहिक आक्रमण की नई तकनीक

"युद्ध अब सैनिकों की संख्या से नहीं, टेक्नोलॉजी की ताकत से जीते जाते हैं।"
परिचय

आधुनिक युद्ध प्रणाली में स्वार्म ड्रोन तकनीक एक क्रांतिकारी कदम के रूप में उभरी है। यह तकनीक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग और उन्नत संचार प्रणालियों पर आधारित है, जो कई ड्रोनों को एक झुंड की तरह समन्वित रूप से कार्य करने में सक्षम बनाती है। स्वार्म ड्रोन न केवल सैन्य रणनीतियों को बदल रहे हैं, बल्कि लागत-प्रभावी और सटीक हमलों के लिए एक नया आयाम भी प्रदान कर रहे हैं। यह लेख स्वार्म ड्रोन की विशेषताओं, भारत में इसके विकास, वैश्विक परिदृश्य और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।

पृष्ठभूमि

ड्रोन तकनीक वर्षों से निगरानी और हमला दोनों में प्रयुक्त होती रही है, परंतु स्वार्म ड्रोन का विकास इसका अगला चरण है। इसमें हर ड्रोन स्वतंत्र रूप से कार्य करता है, लेकिन सामूहिक रूप से एक बुद्धिमान इकाई का निर्माण करता है। इनका उपयोग निगरानी, हमला, संचार अवरोध और आपूर्ति जैसी भूमिकाओं में हो रहा है।

स्वार्म ड्रोन की विशेषताएँ

स्वार्म ड्रोन तकनीक की निम्नलिखित विशेषताएँ इसे युद्धक्षेत्र में अद्वितीय बनाती हैं:

  1. सामूहिक समन्वय: स्वार्म ड्रोन एक झुंड की तरह कार्य करते हैं, जहां प्रत्येक ड्रोन स्वायत्त या अर्ध-स्वायत्त रूप से कार्य करता है। ये ड्रोन एक-दूसरे के साथ वास्तविक समय में संचार करते हैं और सामूहिक निर्णय लेने में सक्षम हैं। यदि कोई ड्रोन नष्ट हो जाता है, तो बाकी ड्रोन स्वयं को पुनर्गठित कर लक्ष्य को पूरा करते हैं।

  2. लचीलापन और सटीकता: ये ड्रोन एक साथ कई कोणों से हमला कर सकते हैं, जिससे दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को भेदना आसान हो जाता है। AI-आधारित सिस्टम सटीक लक्ष्यीकरण सुनिश्चित करते हैं।

  3. लागत-प्रभावी: पारंपरिक हथियारों जैसे मिसाइलों या लड़ाकू विमानों की तुलना में स्वार्म ड्रोन सस्ते होते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर उपयोग संभव है।

  4. विविध उपयोग: इनका उपयोग निगरानी, टोही, आतंकी ठिकानों पर हमले, और गोला-बारूद भंडारों को नष्ट करने जैसे कार्यों में किया जाता है।

  5. स्वायत्तता: AI और मशीन लर्निंग के उपयोग से ये ड्रोन मानव हस्तक्षेप के बिना लक्ष्य को ट्रैक और नष्ट कर सकते हैं।

भारत में स्वार्म ड्रोन का विकास

भारत ने स्वार्म ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण है।

  • स्वदेशी प्रयास: भारतीय सेना ने न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज जैसे स्टार्टअप्स के साथ मिलकर स्वार्म ड्रोन विकसित किए हैं। 2023 में, सेना ने 100 स्वार्म ड्रोन का ऑर्डर दिया, जो 50 किलोमीटर की रेंज में लक्ष्य भेदने में सक्षम हैं।

  • ऑपरेशन सिंदूर (2025): भारत-पाक सीमा पर आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए स्वार्म ड्रोन का उपयोग किया गया। LMS (लोइटेरिंग म्युनिशन सिस्टम) ड्रोन, जिन्हें 'सुसाइड ड्रोन' भी कहा जाता है, ने सटीक हमलों में अपनी प्रभावशीलता सिद्ध की।

  • काउंटर-ड्रोन तकनीक: भारत ने 'भार्गवास्त्र' जैसे एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित किए हैं, जो 6 किलोमीटर की दूरी से कई ड्रोनों को नष्ट कर सकते हैं। यह दुश्मन के ड्रोन हमलों से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है।

  • आकाशतीर और भीषण: भारत ने AI-आधारित स्वार्म ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों जैसे 'आकाशतीर' और 'भीषण' को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जो सटीक और सामूहिक हमलों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

वैश्विक परिदृश्य

स्वार्म ड्रोन तकनीक का उपयोग विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है। कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • रूस-यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन ने सस्ते और प्रभावी स्वार्म ड्रोन विकसित किए, जिनमें 200 से अधिक प्रकार शामिल हैं। ये ड्रोन रूसी सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले करने में सफल रहे।

  • अग्रणी देश: इजराइल, अमेरिका और यूक्रेन AI-आधारित स्वार्म ड्रोन के क्षेत्र में अग्रणी हैं। इजराइल की 'हार्पी' और अमेरिका की 'लोकहीड मार्टिन' प्रणालियाँ इस क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं।

  • चुनौतियाँ: सस्ते ड्रोन की आसान उपलब्धता गैर-राज्य तत्वों, जैसे आतंकवादी संगठनों, के लिए खतरा बढ़ाती है। ये ड्रोन सामूहिक विनाश के हथियार ले जा सकते हैं, जिसके लिए काउंटर-ड्रोन तकनीकों का विकास आवश्यक है।

रणनीतिक महत्व

स्वार्म ड्रोन युद्धक्षेत्र में कई लाभ प्रदान करते हैं:

  • मनोवैज्ञानिक दबाव: सामूहिक हमले दुश्मन पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालते हैं।

  • रक्षा प्रणालियों को भेदना: कई दिशाओं से हमला करने की क्षमता के कारण ये ड्रोन पारंपरिक रक्षा प्रणालियों को आसानी से चकमा दे सकते हैं।

  • लागत और प्रभावशीलता: कम लागत में उच्च प्रभावशीलता स्वार्म ड्रोन को आधुनिक युद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है।

भविष्य की संभावनाएँ

  • स्वदेशीकरण: भारत AI-आधारित स्वार्म ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों के स्वदेशीकरण पर ध्यान दे रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगा।

  • अंतरराष्ट्रीय साझेदारी: इजराइल और अमेरिका जैसे देशों के साथ सहयोग से भारत उन्नत ड्रोन तकनीक का आयात और विकास कर रहा है।

  • नए सिस्टम: 'आकाशतीर' और 'भीषण' जैसे सिस्टम भविष्य में भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेंगे।

  • नैतिक और सुरक्षा चुनौतियाँ: स्वार्म ड्रोन के दुरुपयोग को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों और काउंटर-ड्रोन तकनीकों का विकास आवश्यक है।

निष्कर्ष

स्वार्म ड्रोन तकनीक आधुनिक युद्ध की गतिशीलता को बदल रही है। भारत जैसे देशों के लिए, जो सीमा सुरक्षा और आतंकवाद से जूझ रहे हैं, यह तकनीक रणनीतिक बढ़त प्रदान करती है। हालांकि, इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए मजबूत काउंटर-ड्रोन प्रणालियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। भारत का स्वदेशीकरण और तकनीकी प्रगति इस क्षेत्र में इसे एक मजबूत खिलाड़ी बनाएगी।

FAQs

Q1: स्वार्म ड्रोन और सामान्य ड्रोन में क्या अंतर है?
उत्तर: स्वार्म ड्रोन एक साथ, समन्वित रूप से काम करते हैं और AI द्वारा नियंत्रित होते हैं, जबकि सामान्य ड्रोन व्यक्तिगत रूप से चलते हैं।
Q2: भारत ने अभी तक कौन-कौन से स्वार्म ड्रोन विकसित किए हैं?
उत्तर: भारत ने ‘भीषण’, ‘आकाशतीर’, LMS जैसे ड्रोन विकसित किए हैं।
Q3: क्या स्वार्म ड्रोन को हैक किया जा सकता है?
उत्तर: यदि सही साइबर सुरक्षा उपाय न हों, तो संभव है। इसलिए काउंटर-साइबर सिस्टम जरूरी हैं।

स्वार्म ड्रोन तकनीक का भविष्य उज्ज्वल है। लेकिन इसके साथ जिम्मेदार उपयोग, सशक्त नीति, और नैतिक दृष्टिकोण भी जरूरी है। भारत इस दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है और आने वाले समय में यह तकनीक हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का मेरुदंड बन सकती है।


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