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RIC समूह: यूरेशिया में शक्ति संतुलन की त्रिपक्षीय कड़ी। |
मुख्य बिंदु
- RIC (रूस-भारत-चीन) समूह का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है, लेकिन भारत-चीन तनाव और चीन की विश्वसनीयता पर सवाल इसे चुनौती दे सकते हैं।
- रूस RIC को पुनर्जीवित करने में रुचि दिखा रहा है, विशेष रूप से सीमा विवाद के समाधान के बाद।
- BRICS के माध्यम से आर्थिक एकीकरण की संभावनाएं हैं, जैसे 2027 तक साझा मुद्रा।
- यह एक जटिल मुद्दा है, जिसमें कई पहलुओं को समझने की जरूरत है।
परिचय
RIC एक त्रिपक्षीय मंच है जो 1990 के दशक में रूस, भारत और चीन के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। इसका उद्देश्य पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला करना और वैश्विक मुद्दों पर संवाद करना है। हाल के वर्षों में, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद ने इस समूह को प्रभावित किया, लेकिन 2025 में रूस की पहल और संबंधों में सुधार से पुनरुत्थान की संभावना दिख रही है।
हालिया खबर
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 29 मई, 2025 को उराल पर्वतों में पर्म में एक सम्मेलन में कहा कि मॉस्को RIC को पुनर्जीवित करने में सच्ची रुचि रखता है, विशेष रूप से भारत और चीन के बीच सीमा स्थिति में सुधार के बाद। अक्टूबर 2024 में काजान में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की बैठक ने सीमा तनाव को कम करने में मदद की, जिससे RIC के पुनरुत्थान का रास्ता साफ हुआ।
संकेत
RIC के पुनरुत्थान से यूरेशिया में सुरक्षा और सहयोग बढ़ सकता है, साथ ही पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, भारत-चीन तनाव और चीन की विश्वसनीयता पर चिंताएं इसे चुनौती दे सकती हैं।
विस्तृत विश्लेषण
RIC (रूस-भारत-चीन) समूह का भविष्य एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जो भू-राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक कारकों से प्रभावित है। यह नोट RIC के वर्तमान स्थिति, इसके ऐतिहासिक संदर्भ, और भविष्य की संभावनाओं का विस्तृत सर्वेक्षण प्रस्तुत करता है, जिसमें सभी प्रासंगिक जानकारी शामिल है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
RIC की स्थापना 1990 के दशक के अंत में रूसी राजनीतिज्ञ येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर हुई थी, जिसका उद्देश्य पश्चिमी गठबंधनों, विशेष रूप से अमेरिका-नेतृत्व वाले गठबंधन, का मुकाबला करना था। यह समूह रूस, भारत और चीन के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। प्रारंभिक वर्षों में, RIC ने कई बैठकें आयोजित कीं, जैसे 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान एक आभासी बैठक, जिसमें वैश्विक मुद्दों जैसे महामारी, सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता पर चर्चा हुई ।
हालांकि, 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन संघर्ष के बाद, RIC की गतिविधियां लगभग रुक गईं, जैसा कि कई विश्लेषणों में उल्लेख किया गया है।
वर्तमान स्थिति और प्रासंगिकता
2025 तक, RIC अभी भी एक स्वतंत्र तंत्र के रूप में मौजूद है, लेकिन इसकी बैठकें पिछले कुछ समय से कम हुई हैं। हाल ही में, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 29 मई, 2025 को उराल पर्वतों में पर्म में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि मॉस्को RIC ट्रोइका प्रारूप के भीतर संचालन को फिर से शुरू करने में रुचि दिखा रहा है। लावरोव ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा स्थिति में सुधार, विशेष रूप से अक्टूबर 2024 में काजान में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की बैठक के बाद, RIC के पुनरुत्थान के लिए समय उपयुक्त है।
RIC के तीनों देश BRICS का हिस्सा हैं, जो एक बड़ा और बढ़ता हुआ समूह है। एक X पोस्ट (दिसंबर 2024) में कहा गया कि BRICS 2025 में विश्व व्यवस्था को आकार देगा और पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देगा ।
यह सुझाव देता है कि RIC, BRICS के भीतर एक मजबूत आधार के रूप में कार्य कर सकता है, खासकर आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के संदर्भ में।
आर्थिक एकीकरण की संभावनाएं
RIC के भविष्य में एक महत्वपूर्ण पहलू आर्थिक एकीकरण है। एक X पोस्ट (जून 2024) में उल्लेख किया गया कि 2027 तक रूस, भारत और चीन के पास एक साझा मुद्रा हो सकती है, जो इन देशों के बीच आर्थिक संबंधों को गहरा करेगा ।
यह कदम RIC को एक मजबूत आर्थिक ब्लॉक के रूप में स्थापित कर सकता है, विशेष रूप से वैश्विक व्यापार और वित्तीय प्रणालियों में। इसके अलावा, एक अन्य X पोस्ट (अप्रैल 2023) ने RIC देशों की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी को उजागर किया, जो उनके औद्योगिक और संसाधन-आधारित अर्थव्यवस्थाओं की ताकत को दर्शाता है ।
चुनौतियां और बाधाएं
हालांकि, RIC के भविष्य में कई चुनौतियां हैं, विशेष रूप से भारत और चीन के बीच तनाव। भारत और चीन के बीच हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) एक प्रमुख बाधा है, जैसा कि कई विश्लेषणों में उल्लेख किया गया है।
इसके अलावा, एक X पोस्ट (मई 2025) में चीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए, जिसमें कहा गया कि "रूस और भारत पर भरोसा किया जा सकता है, लेकिन चीन पर नहीं"।
यह सुझाव देता है कि चीन के साथ सहयोग में कठिनाइयां हो सकती हैं, जो RIC की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती हैं।
रूस की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दोनों देशों (भारत और चीन) के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। एक X पोस्ट (दिसंबर 2024) में कहा गया कि रूस, भारत और चीन को पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए आपसी समर्थन की आवश्यकता है, अन्यथा इन देशों का विखंडन हो सकता है । यह सुझाव देता है कि रणनीतिक आवश्यकताएं RIC को बनाए रखने के लिए प्रेरणा दे सकती हैं।
भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण
RIC का भविष्य BRICS के साथ गहराई से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है, जहां इन देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अक्टूबर 2024 में एक X पोस्ट में उल्लेख किया कि BRICS की स्थापना RIC द्वारा की गई थी, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है । यह सुझाव देता है कि RIC, BRICS के माध्यम से एक लंबी अवधि में प्रासंगिक बनी रहेगी।
हालांकि, RIC की बैठकें और गतिविधियां कम हुई हैं, जैसा कि 12 वर्षों में केवल तीसरी शीर्ष नेताओं की बैठक का उल्लेख है। यह सुझाव देता है कि समूह की प्रगति धीमी है, और इसे पुनर्जीवित करने के लिए सक्रिय प्रयासों की आवश्यकता होगी।
तालिका: RIC के भविष्य के प्रमुख पहलू
पहलू |
विवरण |
आर्थिक एकीकरण |
2027 तक साझा
मुद्रा की संभावना, BRICS के माध्यम से व्यापार बढ़ोतरी।
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भू-राजनीतिक महत्व |
पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला, रणनीतिक सहयोग की आवश्यकता। |
चुनौतियां |
भारत-चीन तनाव, चीन की विश्वसनीयता पर सवाल।
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रूस की भूमिका |
RIC को पुनर्जीवित
करने में रुचि, मध्यस्थ की भूमिका।
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भविष्य की संभावनाएं |
BRICS के साथ
प्रासंगिकता, लेकिन गतिविधियों में कमी।
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निष्कर्ष
RIC का भविष्य कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें BRICS के माध्यम से आर्थिक एकीकरण, रूस की पहल, और भारत-चीन तनाव शामिल हैं। 2025 तक, यह प्रतीत होता है कि RIC अभी भी प्रासंगिक है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता भारत और चीन के बीच संबंधों पर निर्भर करेगी। आर्थिक एकीकरण की संभावनाएं, जैसे साझा मुद्रा, इसे मजबूत कर सकती हैं, लेकिन भू-राजनीतिक चुनौतियां इसे बाधित कर सकती हैं।