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बदलते रिश्तों की कहानी: 50+ उम्र में तलाक और सोशल मीडिया |
50+ उम्र में तलाक क्यों बढ़ रहे हैं? जानिए असली वजहें
Table of Contents
- परिचय
- 50+ उम्र में तलाक का बढ़ता रुझान: ताज़ा डेटा
- मुख्य कारण (संक्षेप और विस्तार)
- सोशल मीडिया का असर
- “टूलकिट” मिथक: सच्चाई क्या है?
- कानून और सहायता प्रणाली
- समाधान और सुझाव
- निष्कर्ष
- अक्सर पूछे गए प्रश्न (FAQs)
परिचय
भारत में पारंपरिक रूप से शादी को जीवन की अंतिम मंज़िल माना जाता रहा है। खासकर 50+ उम्र में तलाक, जिसे “ग्रे” या “सिल्वर डिवोर्स” भी कहा जाता है, जो सांप्रदायिक दृष्टिकोण से विचलित कर देने वाला है। लेकिन बदलते समय के साथ ऐसे तलाक बढ़ रहे है। और यह सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव को भी दर्शाता है। इस लेख में हम नवीनतम आँकड़ों, समाज, कानून और टेक्नोलॉजी के प्रभाव, और “टूलकिट” जैसे मिथकों का विश्लेषण करेंगे।
50+ उम्र में तलाक का बढ़ता रुझान: ताज़ा डेटा
- भारत में कुल तलाक की दर लगभग 1% है । यह संख्या दुनियाभर में सबसे कम में से एक है ।
- पिछले दो दशकों में भारत में तलाक की संख्या दुगनी से अधिक हो गई है ।
- 2015–16 के NFHS-4 के अनुसार तलाक की दर लगभग 0.6% (2005–06) से बढ़कर 1% हो गई है ।
- Moneycontrol-के PLFS डेटा बताता है कि शहरी पुरुषों में तलाक की दर 2017–18 में 0.3% से 2023–24 में 0.5% हो गई, जबकि महिलाओं में 0.6% से बढ़कर 0.7% हुई ।
- “सिल्वर सेपरेशन” की प्रवृत्ति भी शहरों में युवाओं के बाद 50–70 आयु वर्ग में स्पष्ट रूप से दिख रही है ।
मुख्य कारण
कारण |
विवरण |
आर्थिक आत्मनिर्भरता |
महिलाओं में बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता उन्हें असंतोषजनक
विवाह में रहने के लिए विवश नहीं रखती। रोजगार या व्यवसाय से मिली आत्मनिर्भरता
उन्हें नए जीवन प्रस्तावित करती है। |
जीवनशैली और सोच में बदलाव |
वे अब व्यक्तिगत खुशी, आत्मसम्मान
और “मी-टाइम” को महत्व देने लगे हैं। यह बदलाव पारंपरिक धारणाओं से अलग सोच को
जन्म दे रहा है। |
रिटायरमेंट और भावनात्मक दूरी |
नौकरी के समय दबे छोटे विवाद रिटायरमेंट के बाद खुलकर
सामने आते हैं। अधिक समय साथ बिताने से पुराने असहमति बढ़ सकती हैं। |
सोशल मीडिया और ऑनलाइन इंटरैक्शन |
WhatsApp,
Facebook और सोशल मीडिया ऐप्स के माध्यम से संबंधों में खटास और रिश्तों
में तनाव पैदा हो रहा है। |
सामाजिक स्वीकार्यता में वृद्धि |
पहले तलाक बड़ी कलंकित घटना थी;
अब, विशेषकर शहरी और शिक्षित वर्ग में इसे
व्यक्तिगत निर्णय की तरह देखा जाता है। |
सोशल मीडिया का असर
सोशल मीडिया ने विवाह संबंधों को प्रभावित किया है। इतना ही नहीं अब वह सब पर असर पढ़ रहा है चाहे वह पुराने दोस्तों से संपर्क हो या नए रिश्तों की संभावना हूँ। वकीलों का कहना है कि 50+ तलाक के मामलों में WhatsApp चैट्स, Facebook इंटरैक्शन और ऑनलाइन अफेयर्स एक सामान्य पैटर्न बन गए हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में इसकी बढोतरी काफी हो रही है। जो व्यक्तिगत संबंधों को चुनौतीपूर्ण बना रहा है, लेकिन साथ ही यह कोई समन्वित टूलकिट भी हो सकता है ।
“टूलकिट” मिथक: सच्चाई क्या है?
अक्सर सुना जाता है कि तलाक को बढ़ावा देने के लिए कोई “टूलकिट” उपयोग हो रहा है-लेकिन यह कहाँ तक सच है यह सोचने वाली बात है।
- अभी तक सीधे तौर पर सामने नहीं आया है ।
- आप को सुनने या देखने को मिलेगा की 50+ लोगों से दोस्ती करो ।
- कुछ सोशल मीडिया एप्लीकेशन हैं जो महिलाओ के लिए फ्री उपलब्ध हैं ।
- लेकिन अभी तक प्रमाणित नहीं हुआ है कि कोई टूलकिट उपलब्ध है ।
- इनकार भी नहीं किया जा सकता है ।
कानून और सहायता प्रणाली
- भारत में तलाक Hindu Marriage Act (1955), Special Marriage Act (1954), आदि के तहत कानूनी रूप से संभव है।
- वन-स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन (181) और NGO-सहायता ऐसे निर्णय लेने वालों को काउंसलिंग, कानूनी और मानसिक समर्थन देती है।
- ये संस्थाएँ व्यक्ति को सहायता देती हैं, लेकिन विवाह को खत्म कराना उनका उद्देश्य नहीं।
समाधान और सुझाव
- खुला संवाद: परिवार और साथी से संवाद बनाए रखें; काउंसलिंग से रिश्तों को नई दिशा मिल सकती है।
- आर्थिक योजना: खासकर महिलाओं के लिए वित्तीय सुरक्षा आवश्यक है- पेंशन, बीमा, व्यक्तिगत फंड की सशक्त संरचना होनी चाहिए।
- डिजिटल साक्षरता: सोशल मीडिया का सावधान इस्तेमाल, ऑनलाइन रिश्तों में सीमाएं तय करनी चाहिए।
- वृद्धों के लिए समुदाय समर्थन: वृद्धावस्था में भावनात्मक और सामाजिक सहायता नेटवर्क बनाए जाएँ।
निष्कर्ष
भारत में 50+ उम्र में तलाक एक वास्तविक सामाजिक प्रवृत्ति है, जो आर्थिक, मानसिक और तकनीकी कारणों से बढ़ रही है। लेकिन जो मिथक हवा में उड़ते रहते हैं, जैसे कि कोई “टूलकिट” लोगों को तलाक की ओर प्रेरित कर रहा है, उनका कोई ठोस आधार नहीं है। असली बदलाव हमारे स्पर्श में है, जहाँ व्यक्ति अपनी खुशी, सम्मान और स्वतंत्रता को प्राथमिकता देता है। हमें इसे समझदारी, सहानुभूति और संवेदनशीलता से देखना चाहिए।
FAQs
प्र. भारत में तलाक की दर क्या है?
उत्तर: लगभग 1%, लेकिन पिछले 20 वर्षों में यह दोगुने से अधिक हुई है।
प्र. क्या सोशल मीडिया “टूलकिट” तलाक बढ़ा रहा है?
उत्तर: नहीं, ऐसा कोई प्रमाणित टूलकिट नहीं है; सोशल मीडिया केवल एक व्यक्तिगत असरकारक कारक है।
प्र. आपत्ति के बिना तलाक कैसे संभव होता है?
उत्तर: कई विवाह अधिनियमों के तहत “Mutual Consent Divorce” की प्रक्रिया सरल है।
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