DRDO का 'भार्गवस्त्र' और लेजर हथियार प्रणाली

 

DRDO की स्वदेशी लेज़र हथियार प्रणाली 'भार्गवस्त्र' की परीक्षण स्थिति – भारत की रक्षा तकनीक की अगली छलांग


DRDO का 'भार्गवस्त्र' और लेजर हथियार प्रणाली: भारत की रक्षा तकनीक में क्रांति

परिचय

भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हाल के वर्षों में रक्षा तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इनमें से 'भार्गवस्त्र' और लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) प्रणाली विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ये प्रणालियाँ आधुनिक युद्ध में ड्रोन, मिसाइलों और अन्य हवाई खतरों को नष्ट करने की क्षमता प्रदान करती हैं। 'भार्गवस्त्र' जैसे एंटी-ड्रोन सिस्टम और 30-किलोवाट की Mk-II(A) लेजर हथियार प्रणाली ने भारत को विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल कर दिया है जो उन्नत लेजर हथियार तकनीक में सक्षम हैं। यह लेख इन प्रणालियों की विशेषताओं, विकास, रणनीतिक महत्व और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।

'भार्गवस्त्र' एंटी-ड्रोन सिस्टम

'भार्गवस्त्र' DRDO द्वारा विकसित एक स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम है, जो ड्रोन खतरों का पता लगाने, ट्रैक करने और नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली आधुनिक युद्ध में ड्रोन और स्वार्म ड्रोन के बढ़ते खतरे का जवाब देने के लिए विकसित की गई है।

विशेषताएँ:

  1. पता लगाने और ट्रैकिंग: 'भार्गवस्त्र' 6 किलोमीटर की दूरी तक माइक्रो और छोटे ड्रोनों का पता लगाने में सक्षम है। यह रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IR) सेंसर का उपयोग करता है।

  2. सॉफ्ट और हार्ड किल: यह प्रणाली सॉफ्ट किल (जैमिंग के माध्यम से ड्रोन के संचार को बाधित करना) और हार्ड किल (लेजर या अन्य साधनों से ड्रोन को नष्ट करना) दोनों प्रदान करती है।

  3. स्वदेशी विकास: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), L&T, और Icom जैसी निजी कंपनियों के साथ मिलकर इस प्रणाली का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहा है।

  4. तैनाती: 'भार्गवस्त्र' को 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली में रक्षा के लिए तैनात किया गया था, जो इसकी विश्वसनीयता को दर्शाता है।

उपयोग:

  • सीमा सुरक्षा: भारत-पाक और भारत-चीन सीमा पर ड्रोन घुसपैठ को रोकने के लिए 'भार्गवस्त्र' का उपयोग किया गया है। 2025 में, भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) के पास एक चीनी मूल के ड्रोन को इसके माध्यम से नष्ट किया।

  • आतंकवादी खतरे: यह प्रणाली आतंकी संगठनों द्वारा ड्रोन के दुरुपयोग को रोकने में प्रभावी है, जो हथियार या विस्फोटक ले जा सकते हैं।

लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) प्रणाली

DRDO की Mk-II(A) लेजर हथियार प्रणाली, जिसे 13 अप्रैल 2025 को आंध्र प्रदेश के कुरनूल में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया, भारत की रक्षा तकनीक में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह 30-किलोवाट की प्रणाली ड्रोन, मिसाइलों और सेंसर को सेकंडों में नष्ट करने में सक्षम है।

विशेषताएँ:

  1. शक्ति और रेंज: 30-किलोवाट की यह प्रणाली 5 किलोमीटर की दूरी तक फिक्स्ड-विंग ड्रोन, स्वार्म ड्रोन और निगरानी सेंसर को नष्ट कर सकती है। यह लक्ष्य पर लेजर बीम को केंद्रित कर संरचनात्मक क्षति पहुँचाती है।

  2. तेज़ और सटीक: यह प्रणाली प्रकाश की गति से हमला करती है, जिससे यह पारंपरिक हथियारों की तुलना में अधिक सटीक और प्रभावी है।

  3. लागत-प्रभावी: प्रति शॉट की लागत कुछ लीटर पेट्रोल के बराबर है, जो इसे मिसाइलों जैसे पारंपरिक हथियारों की तुलना में किफायती बनाता है।

  4. बहु-मंच उपयोग: यह प्रणाली जमीन, समुद्र और हवाई मंचों पर तैनाती के लिए अनुकूल है। यह 360-डिग्री EO/IR सेंसर और जैमिंग क्षमताओं से लैस है।

  5. स्वदेशी सहयोग: DRDO के सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS), हैदराबाद, ने स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के साथ मिलकर इस प्रणाली को विकसित किया है।

हाल के विकास:

  • परीक्षण (2025): Mk-II(A) ने कुरनूल में एक फिक्स्ड-विंग ड्रोन, सात ड्रोनों के स्वार्म और निगरानी सेंसर को 3.5-5 किलोमीटर की दूरी पर नष्ट किया। यह प्रणाली अब उत्पादन और तैनाती के लिए तैयार है।

  • 'सूर्या' प्रणाली: DRDO 300-किलोवाट की 'सूर्या' लेजर प्रणाली पर काम कर रहा है, जो 20 किलोमीटर की दूरी तक हाई-स्पीड मिसाइलों और ड्रोनों को नष्ट करने में सक्षम होगी।

  • DURGA II: 100-किलोवाट की डायरेक्टली अनरेस्ट्रिक्टेड रे-गन ऐरे (DURGA II) प्रणाली ड्रोन, मिसाइलों और तोपखाने के गोले को नष्ट करने के लिए विकसित की जा रही है।

भार्गवस्त्र और लेजर प्रणाली का तुलनात्मक अवलोकन

पहलु

भार्गवस्त्र

लेजर हथियार प्रणाली

तकनीक

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (EMP)

केंद्रित प्रकाश (लेजर बीम)

लक्ष्य क्षमता

इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, कम दूरी जाम

ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट

सटीकता

GPS-रडार आधारित मार्गदर्शन

उच्च-प्रकाश सटीक नियंत्रण

चुनौती

ऊँची आउटपुट ऊर्जा और बैटरी डिजाइन

तुलनात्मक रूप से कम प्रभावी रेंज और मौसम-संवेदनशील प्रकृति

रणनीतिक महत्व

'भार्गवस्त्र' और लेजर हथियार प्रणालियाँ भारत की रक्षा रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं:

  • ड्रोन खतरों का मुकाबला: ड्रोन और स्वार्म ड्रोन के बढ़ते उपयोग ने पारंपरिक रक्षा प्रणालियों के लिए चुनौतियाँ खड़ी की हैं। 'भार्गवस्त्र' और Mk-II(A) इन खतरों को तुरंत और किफायती ढंग से नष्ट करने में सक्षम हैं।

  • वैश्विक स्थिति: इन प्रणालियों के साथ, भारत अमेरिका, चीन, रूस और इज़राइल जैसे देशों के साथ उन्नत लेजर हथियार तकनीक में शामिल हो गया है।

  • आत्मनिर्भरता: स्वदेशी विकास और निजी कंपनियों के साथ सहयोग भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।

  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव: ये प्रणालियाँ दुश्मन पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालती हैं, क्योंकि उनकी तीव्र गति और सटीकता पारंपरिक रक्षा प्रणालियों को चकमा दे सकती है।

चुनौतियाँ

  1. तकनीकी सीमाएँ: खराब मौसम और जटिल भू-भाग (जैसे हिमालय) लेजर हथियारों की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकते हैं।

  2. ऊर्जा आवश्यकताएँ: उच्च-शक्ति लेजरों को संचालित करने के लिए कॉम्पैक्ट और कुशल जनरेटर की आवश्यकता होती है, जो एक लॉजिस्टिक चुनौती है।

  3. प्रतिरोधी तकनीकें: परावर्तक कोटिंग्स और इलेक्ट्रॉनिक हार्डनिंग जैसे उपाय लेजर हथियारों की प्रभावशीलता को कम कर सकते हैं।

  4. लागत और स्केलिंग: प्रारंभिक विकास और तैनाती की लागत अधिक है, और 'सूर्या' जैसे उन्नत सिस्टम के लिए और अधिक निवेश की आवश्यकता होगी।

भविष्य की संभावनाएँ

  • उन्नत प्रणालियाँ: DRDO 'सूर्या' और DURGA II जैसी उच्च-शक्ति प्रणालियों पर काम कर रहा है, जो लंबी दूरी और तेज़ हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम होंगी।

  • मल्टी-डोमेन तैनाती: इन प्रणालियों को जहाजों, विमानों और उपग्रहों पर तैनात करने की योजना है, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगी।

  • अन्य तकनीकें: DRDO उच्च-ऊर्जा माइक्रोवेव और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (EMP) प्रणालियों पर भी काम कर रहा है, जो 'स्टार वार्स' जैसी क्षमताएँ प्रदान करेंगी।

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत इज़राइल और अमेरिका जैसे देशों के साथ सहयोग कर उन्नत तकनीकों का आयात और विकास कर रहा है।

निष्कर्ष

DRDO का 'भार्गवस्त्र' और लेजर हथियार प्रणाली भारत की रक्षा तकनीक में एक नए युग की शुरुआत करते हैं। 'भार्गवस्त्र' ड्रोन खतरों को प्रभावी ढंग से नष्ट करता है, जबकि Mk-II(A) लेजर प्रणाली ड्रोन, मिसाइलों और सेंसर को सेकंडों में निष्क्रिय करने की क्षमता रखती है। ये प्रणालियाँ न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करती हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसे एक तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित करती हैं। भविष्य में, 'सूर्या' और DURGA II जैसे प्रोजेक्ट्स भारत को आधुनिक युद्ध में अग्रणी बनाएंगे। हालांकि, तकनीकी और लॉजिस्टिक चुनौतियों को दूर करने के लिए निरंतर अनुसंधान और निवेश आवश्यक है।

FAQs

Q1: भार्गवस्त्र और लेजर सिस्टम का लक्ष्य कौन सा है?

A1: भार्गवस्त्र इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम निष्क्रिय करता है, जबकि लेजर सिस्टम ड्रोन, मिसाइल या रॉकेट को भौतिक रूप से नष्ट करता है।

Q2: क्या ये प्रणालियाँ पूरी तरह देश-निर्मित हैं?
A2: हाँ, DRDO के तत्वाधान में साझा अनुसंधान और भारतीय उद्योग की भागीदारी के साथ निर्मित हैं।

Q3: क्या सिविलियन क्षेत्रों में भी उपयोग संभव है?
A3: अभी प्राथमिक रूप से सैन्य उपयोग पर केंद्रित हैं, पर भविष्य में आपातकालीन सुरक्षा, कंक्रीट कटिंग आदि में भी संभावनाएँ हैं।

DRDO की ये तकनीकें न सिर्फ रक्षा क्षमता को बढ़ा रही हैं, बल्कि भारत को वैश्विक सुरक्षा समाधान में एक अग्रणी शक्ति के रूप में स्थापित कर रही हैं। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी तेज़ होगी, हमारी सुरक्षा कवच और अचूक होगी।

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