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भारत का सैन्य ड्रोन सीमा क्षेत्र में हमला करते हुए — आधुनिक युद्ध का दृश्य |
ड्रोन: आधुनिक युद्ध का नया योद्धा
इतिहास, वर्तमान और भारत की सैन्य रणनीति में भूमिका
भूमिका
ड्रोन, जिन्हें तकनीकी रूप से मानवरहित हवाई वाहन (UAV) कहा जाता है, अब सिर्फ निगरानी या जासूसी उपकरण नहीं रह गए हैं। ये अब आधुनिक युद्ध के निर्णायक हथियार बन चुके हैं, जिनकी भूमिका रणनीतिक, सामरिक और राजनीतिक स्तर पर लगातार बढ़ रही है। इस लेख में हम जानेंगे ड्रोन का इतिहास, इसका वर्तमान वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य में क्या स्थान है, और भविष्य में इसकी दिशा क्या होगी।
ड्रोन का ऐतिहासिक विकास
1. प्रारंभिक प्रयोग: 19वीं सदी से प्रथम विश्व युद्ध तक
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1849 में ऑस्ट्रिया ने वेनिस पर बैलून बम से हमला किया – यह पहला ज्ञात मानवरहित हवाई हमला था।
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प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) में अमेरिका ने केटरिंग बग और ब्रिटेन ने एरियल टारगेट का परीक्षण किया।
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1935: ब्रिटेन द्वारा Queen Bee नामक ड्रोन का निर्माण, जो टारगेट प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल हुआ।
2. शीत युद्ध और टोही मिशन (1950-1980)
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अमेरिका ने वियतनाम युद्ध के दौरान Ryan Model 147 और अन्य टोही ड्रोन का उपयोग किया।
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ड्रोन का उपयोग सीमित था, लेकिन जासूसी के लिए बेहद कारगर साबित हुआ।
3. 1990 का दशक – असली सैन्य क्रांति
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प्रीडेटर ड्रोन की शुरुआत: निगरानी के साथ-साथ हमले की क्षमता।
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खाड़ी युद्ध और कोसोवो अभियान में इनका उपयोग निर्णायक रहा।
4. 21वीं सदी – ड्रोन युद्ध की शुरुआत
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2008: रूस ने जॉर्जिया के ड्रोन को गिराया – पहली "ड्रोन बनाम ड्रोन" लड़ाई मानी जाती है।
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2020: ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या अमेरिकी ड्रोन से हुई – ड्रोन की मारक क्षमता का सबसे चर्चित उदाहरण।
2025 में ड्रोन की वर्तमान स्थिति
ड्रोन अब आधुनिक युद्ध का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। ये न केवल शक्तिशाली देशों बल्कि विद्रोही संगठनों और छोटे देशों के भी हथियार बन गए हैं।
1. युद्ध में भूमिकाएं:
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निगरानी और टोही: हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे, नाइट विज़न और AI सेंसर से लैस।
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सटीक हमला (Precision Strikes): कामीकाजी ड्रोन जैसे SkyStriker लक्ष्य को सीधा भेदते हैं।
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लोइटरिंग म्यूनिशन: यह ड्रोन लक्ष्य के ऊपर मंडराकर सही समय पर हमला करते हैं।
2. भारत में ड्रोन विकास:
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स्वदेशी प्रयास:
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निशांत ड्रोन (DRDO, 1995) – करगिल युद्ध में उपयोग।
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भार्गवस्त्र – माइक्रो ड्रोन रोधी मिसाइल प्रणाली।
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ऑपरेशन सिंदूर (2025) – SkyStriker ड्रोन से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले।
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विदेशी सहयोग:
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इजराइल से हेरॉन, सर्चर Mk II, हारोप ड्रोन का आयात।
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अदाणी और इजराइली कंपनियों का संयुक्त निर्माण।
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3. वैश्विक घटनाक्रम:
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रूस-यूक्रेन युद्ध (2022–2025):
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यूक्रेन ने अब तक 22 लाख ड्रोन बनाए – FPV ड्रोन रूसी टैंकों और रडार को नष्ट कर रहे हैं।
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गाजा-इजराइल संघर्ष:
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ड्रोन ने पारंपरिक टैंक और हवाई हमलों की उपयोगिता को चुनौती दी।
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तकनीकी प्रगति
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AI और स्वार्म तकनीक: अब सैकड़ों ड्रोन एक साथ लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम हैं।
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ड्रोन-रोधी सिस्टम:
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भारत द्वारा विकसित लेजर हथियार प्रणाली (MK-2A) – 20 किमी तक के ड्रोन को नष्ट करने की क्षमता।
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सूर्य प्रणाली – 300 किलोवाट की उन्नत लेजर रक्षा।
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नैतिक और सुरक्षा चुनौतियां
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नागरिक हानि और वैधता: ड्रोन हमलों में अक्सर निर्दोष नागरिकों की मृत्यु होती है।
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आतंकवादी उपयोग:
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जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन ड्रोन से हथियार, ड्रग्स और विस्फोटक भारत में भेज रहे हैं।
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जून 2021 जम्मू वायुसेना स्टेशन हमला इसका स्पष्ट उदाहरण है।
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निष्कर्ष: युद्ध का भविष्य ड्रोन-केंद्रित
ड्रोन युद्ध की प्रकृति को बदल चुके हैं – सस्ते, तेज़, सटीक और बिना पायलट की जान जोखिम में डाले। भारत जैसे देश अब स्वदेशी तकनीक और ड्रोन-रोधी प्रणालियों में निवेश कर रहे हैं। हालांकि, आतंकवादी संगठनों के हाथों ड्रोन की उपलब्धता ने एक नई सुरक्षा चुनौती खड़ी कर दी है।
भविष्य का युद्ध, मशीनों के बीच होगा – और ड्रोन उसमें सबसे आगे होंगे।