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भगवद गीता और क्वांटम भौतिकी का मिलन दिखाता हुआ ध्यानरत मानव और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का चित्र |
भगवद गीता और क्वांटम भौतिकी: चेतना का अद्भुत संगम
प्रस्तावना: जब विज्ञान और अध्यात्म एक भाषा बोलते हैं
विज्ञान और धर्म को अक्सर विरोधी धाराओं की तरह देखा जाता है। लेकिन जैसे-जैसे क्वांटम भौतिकी (Quantum Physics) चेतना, ऊर्जा और ब्रह्मांड की गहराई में उतरती है, वैसे-वैसे यह सनातन ग्रंथों विशेषकर भगवद गीता से अजीब तरह की समानताएँ दर्शाती है।
क्या यह महज संयोग है या फिर गीता में छिपे हैं वे सत्य जो विज्ञान अब खोज रहा है? आइए, इस लेख में हम तीन प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से भगवद गीता और क्वांटम भौतिकी के अद्भुत संगम को समझते हैं।
1. आत्मा नाशवान नहीं है — ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत
गीता कहती है:
"न जायते म्रियते वा कदाचित्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः..."(अध्याय 2, श्लोक 20)
इसका अर्थ है कि आत्मा का न तो जन्म होता है और न ही मृत्यु। यह नित्य, अजर, अमर और शाश्वत है।
विज्ञान कहता है:
ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है, न ही नष्ट की जा सकती है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है। यह थर्मोडायनामिक्स का पहला नियम है।
आत्मा और ऊर्जा — दोनों का अस्तित्व अजर-अमर है। गीता में आत्मा की बात उसी तरह होती है जैसे विज्ञान में ऊर्जा की।
2. एकता की अवधारणा — क्वांटम एंटैंगलमेंट
गीता कहती है:
"सर्वं खल्विदं ब्रह्म" — उपनिषद"मम आत्मा सर्वभूताशयस्थितः"
(अध्याय 10)
भगवद गीता और उपनिषद यह दर्शाते हैं कि हर कण में एक ही परमात्मा का वास है — सभी कुछ ब्रह्म है।
विज्ञान कहता है:
Quantum Entanglement में दो कण इतने गहराई से जुड़े होते हैं कि एक में परिवर्तन होने पर दूसरा भी तुरंत प्रभावित होता है, चाहे वह कितनी भी दूरी पर क्यों न हो।
सर्वत्र व्याप्त चेतना और कणों की आपसी कनेक्टिविटी दोनों ही ब्रह्मांड की एकता की ओर संकेत करते हैं।
3. कर्म सिद्धांत — कारण और प्रभाव का नियम
गीता कहती है:
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"(अध्याय 2, श्लोक 47)
अर्थात् तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल पर नहीं।
विज्ञान कहता है:
प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है — यह Cause & Effect का नियम है। कोई भी क्रिया (Action) ब्रह्मांड में बिना प्रतिक्रिया के नहीं रहती।
गीता का कर्मफल सिद्धांत और विज्ञान का कारण-प्रभाव सिद्धांत दोनों ही इस बात पर बल देते हैं कि हर कार्य का एक परिणाम होता है।
निष्कर्ष: गीता और क्वांटम फिजिक्स — चेतना की एक ही यात्रा
यह स्पष्ट होता जा रहा है कि भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक क्वांटम चेतना का गाइड है। इसमें आत्मा की स्थायित्वता, ब्रह्मांडीय एकता और कर्म के सिद्धांत जैसे विचार छिपे हैं, जो आधुनिक विज्ञान के मूल सिद्धांतों से मेल खाते हैं।
क्वांटम भौतिकी वहाँ पहुँच रही है जहाँ ऋषि-मुनियों की चेतना पहले से थी। गीता, न केवल आस्था का आधार है, बल्कि साइंस ऑफ कॉन्शियसनेस भी है।