कृष्ण जन्माष्टमी 2025: तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत नियम पूरी जानकारी

कृष्ण जन्माष्टमी 

कृष्ण जन्माष्टमी 2025: तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत नियम पूरी जानकारी

विषय सूची (Table of Contents)

  • कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की तारीख और समय
  • कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
  • कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाएं?
  • शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
  • व्रत नियम और परान का समय
  • दही हांडी उत्सव का महत्व
  • निष्कर्ष
  • प्रश्न और उत्तर

परिचय

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी – प्रेम, लीला और आत्मा का उत्सव भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि, आधी रात का वह क्षण जब ब्रह्मांड मौन होता है और हृदयों में एक दिव्य कंपन गूंजता है—वही क्षण है जब श्रीकृष्ण का जन्म होता है। यह केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि हर भक्त के भीतर प्रेम, करुणा और धर्म के पुनर्जागरण का पर्व है। कृष्ण जन्माष्टमी वह दिन है जब हम श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, उनके मधुर भजनों और गहन उपदेशों को स्मरण करते हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में जब अंधकार गहराता है, तब वासुदेव स्वयं प्रकाश बनकर प्रकट होते हैं।

1. कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की तारीख और समय

  • कृष्ण जन्माष्टमी 2025 इस साल 16 अगस्त को मनाई जाएगी।
  • अष्टमी तिथि शुरू: 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे से
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025, रात 9:34 बजे तक
  • शुभ मुहूर्त (निशीथ पूजा): 16 अगस्त 2025, लगभग 12:04 AM से 12:47 AM तक
  • भगवान कृष्ण का जन्म क्षण: 16 अगस्त 2025, करीब 12:26 AM
 

2. कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व

  • यह त्योहार भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी का अर्थ है भगवान कृष्ण के जन्म की आठवीं रात, जो अष्टमी तिथि की कृष्ण पक्ष में पड़ती है।
  • इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर अधर्म पर धर्म की विजय की शुरुआत की। यह पर्व भक्ति, प्रेम और सच्चाई का संदेश देता है।

3. कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाएं?

  • उपवास (व्रत): श्रद्धालु दिनभर व्रत रखते हैं और मध्यरात्रि के शुभ मुहूर्त तक उपवास निभाते हैं।
  • पूजा और आरती: जन्म के समय विशेष पूजा, भजन-कीर्तन, और आरती होती है।
  • रासलीला और झांकियां: कई जगहों पर कृष्ण की जीवनियों का नाट्य रूप में प्रदर्शन किया जाता है।
  • दही हांडी उत्सव: महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में दही हांडी का आयोजन होता है।

4. शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


मध्यरात्रि का समय सबसे शुभ माना जाता है, जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस समय विशेष पूजा करें, जिनमें निम्न चीजें शामिल हैं:
  • भगवान कृष्ण की मूर्ति सजाएं और झूला सजाएं।
  • दीप प्रज्ज्वलित करें, फल, फूल और मिठाइयां चढ़ाएं।
  • मंत्र जाप करें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
  • भजन-कीर्तन और कथा वाचन करें।

5. व्रत नियम और परान का समय

  • व्रत प्रारंभ: सुबह से या पूर्व रात्रि से।
  • व्रत अवधि: जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त तक रखा जाता है।
  • परान (उपवास तोड़ने का समय): 16 अगस्त 2025 की रात 9:34 बजे के बाद।

6. दही हांडी उत्सव का महत्व

दही हांडी श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का उत्सव है, जिसमें मटकी में दही और अन्य सामान भरा जाता है। युवाओं द्वारा मानव पिरामिड बनाकर ऊँची मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। यह उत्सव भक्तों में उल्लास और भक्ति का संचार करता है।
 

7. निष्कर्ष

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 का त्योहार 16 अगस्त को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, प्रेम और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है।सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के अनुसार व्रत और पूजा करने से इस पावन पर्व का आध्यात्मिक लाभ अधिकतम होता है।

8. प्रश्न और उत्तर (FAQ)

1. कृष्ण जन्माष्टमी 2025 कब है?
उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी 2025 इस साल 16 अगस्त को मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि लगभग 12:04 AM से 12:47 AM तक रहेगा।

2. कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: जन्माष्टमी का सबसे शुभ मुहूर्त निशीथ पूजा के दौरान होता है, जो 16 अगस्त 2025 को लगभग 12:04 AM से 12:47 AM तक रहेगा। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और आराधना विशेष फलदायक होती है।

3. कृष्ण जन्माष्टमी पर उपवास कब से कब तक रखा जाता है?
उत्तर: उपवास आमतौर पर दिनभर या पूर्व रात्रि से शुरू किया जाता है और जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त के बाद, यानी 16 अगस्त 2025 की रात 9:34 बजे के बाद ही तोड़ा जाता है।

4. कृष्ण जन्माष्टमी पर कौन से मंत्र जपें?

उत्तर: सबसे प्रसिद्ध मंत्र है -

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
इस मंत्र का जाप भक्तिपूर्वक किया जाता है।
8. क्या कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत जरूरी है?
उत्तर: व्रत रखना भक्तियों के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन यदि कोई व्रत नहीं रख सकता तो भी पूजा और भजन-कीर्तन में भाग लेकर इस पर्व को मना सकता है।



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